जाको राखे साइयां, मार सके न कोय :सुरक्षित निकाले गए 41 मजदूर

📌टनल से सुरक्षित निकाले गए 41 मजदूर
📌CM पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर दी जानकारी

28 नवंबर, उत्तरकाशी  सिल्क्यारा-बड़कोट टनल हादसे में 17वें दिन बड़ी सफलता मिली है। आखिरकार टनल में फंसे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकालने का काम सफ़ल हुआ। देर शाम सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया । 12 नवंबर की सुबह करीब 5.30 बजे उत्तरकाशी में बन रही सिलक्यारा-डंडालगांव टनल का एक हिस्सा भरभराकर धंस गया. मलबा करीब 60 मीटर तक फैल गया और टनल से बाहर निकले का रास्ता ब्लॉक हो गया.जिसमें अंदर काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए. इसके तुरंत बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया था।                 फ़ोटो क्रेडिट - P. S. धामी ट्वीट
बचाव दल लगातार रेडियो के ज़रिए सुरंग में फंसे मज़दूरों से संपर्क बनाए हुए थे .15 सेंटीमीटर चौड़े एक पाइप के ज़रिए मज़दूरों तक खाना, पानी, ऑक्सीजन और दवाएं पहुंचाई जा रही थी. बचाव दल टनल मे फसे मजदूरों से संपर्क बनाये हुए थे , उनसे समय समय पर बातचीत की जाती थी। 

सिल्क्यारा-बड़कोट सुरंग केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है। जिसके निर्माण का टेंडर भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी, राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) द्वारा हैदराबाद की नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी को दिया गया था. 
आखिर 17 दिन का समय क्यों लगा ! 

सुरंग के भीतर मिट्टी काफ़ी ढीली थी.जिसके कारण वहां के पत्थर भी खिसकते रहते हैं.इसके साथ ही सुरंग के निर्माण के दौरान लगाये गए सरिये को काटना भी मुश्किल था। 

टनल से बाहर निकलता देख छलके खुशी के आंसू
टनल से बाहर निकलता देख परिजनों के आंसू छलक गए। पिछले 17 दिनों से रोज की तरह ही टनल के अंदर फंसे मजदूरों के परिजनों अपने के बाहर आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। मंगलवार रात को टनल से बाहर आता देख परिनजों के आंखों से आंसू छलक आए।




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