गुणवत्ता हीन शिक्षा का जिम्मेदार कौन..?
गुणवत्ता हीन शिक्षा का जिम्मेदार कौन..?
देश में युवा पढ़ तो रहें हैं लेकिन विकास के राह में आगे नहीं बढ़ पा रहें हैं. देश में स्नातक,स्नात्तकोत्तर की डिग्रियां लेने वाले छात्रों की तादात साल दर साल बढ़ते जा रही हैं. लेकिन नौकरियों में युवाओं का अदद बताता हैं कि देश के युवा 'कौशल-विहीन' हैं . उनमें नेतृत्व करने की क्षमता का विकास अभीतक कमतर हैं.
शायद यहीं कारण हैं कि युवा प्रधान देश होने के बावज़ूद भारत अबतक विकासशील से विकसित नहीं बन पाया हैं. आख़िर इसका जिम्मेदार कौन हैं. केंद्र सरकार , राज्य सरकार या फिर देश के युवा ख़ुद...!!
देश में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा हैं लेकिन शिक्षण संस्थानों के फीस का पारा चढ़ता ही जा रहा हैं. लेकिन वही दूसरी ओर शिक्षा के गुणवत्ता पर जब हम नज़र फेरते हैं तो पाते हैं कि - युवा अपने उमर का आधा वक्त पढ़ाई पुरी करने में लगा देतें है.जिसमे उसके मां बाप की आधी पूंजी लग जाती हैं. लेकिन इतने कोशिसो के बावज़ूद युवाओं के हाथ एक ढेला नहीं लगता.
आइये नज़र फेरते है कारणों पर- आजकल कितने ही घरों में खाने की मेज़ पर समसायिक घटनाओ और मुद्दों पर चर्चा की जाती हैं.एक और दूसरा कारण स्मार्ट फोन हैं. जब से स्मार्ट फोन लोगों के जेब में आया हैं तब से मानो पूरी दुनिया जेब में समा गयी हैं. लोगों का मन किताबों और अखबारों से उब चुका हैं. उन्हें फोन में विसुअल्स और ऑडियो क्लिप के जरिये चीजों को जानना सुनना ज्यादा पसंद आने लगा हैं. तकनीकी विकास ने लोगों की सोचने समझने की शक्ति को गौण कर दिया हैं. जिसका परिणाम ये निकला हैं की आज युवाओं में निर्णय लेने की क्षमता कमतर नज़र आती हैं.
आज युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा पद्धति में नीतिगत सुधार करने की आवश्यकता नज़र आन पड़ती हैं. साथ ही माता पिता को भी ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि बेहतर शिक्षा की पहली सीढ़ी घर से शुरू होतीं हैं. ऐसे में उन्हें शुरू से ही अपने बच्चों को एक चर्चा परिचर्चा करने योग्य माहौल उपलब्ध कराने चाहिए.
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