दो महिलाओं को जिंदा जमीन में पाटा,जमीन विवाद का था मामला, भतीजे और ससुर निकले आरोपी
इस तरह महिलाओं को जिंदा ज़मीन में पाटने की हिम्मत हुई तो हुई कैसे..! कौन हैं वो छुटभैये लोग जिन्हें शासन-प्रशासन का जरा भी डर-भय नहीं..?

मध्यप्रदेश, 20जुलाई. रीवा जिले के एक गांव में जमीन विवाद के चलते दो महिलाओं को जिंदा जमीन में पाटने की घटना ने सबको हैरान कर दिया है। घटना तब घटी जब महिलाएं अपनी जमीन पर हो रहे अवैध सड़क निर्माण का विरोध कर रही थीं। यह सड़क दबंगों द्वारा बनाई जा रही थी और महिलाएं इसका पुरजोर विरोध करने के लिए मौके पर पहुंची थीं। इसी दौरान सड़क निर्माण में लगे डंपर चालक ने उन पर मुरुम (मिट्टी) डाल दिया, जिससे वे लगभग पूरी तरह से जमीन में दब गईं।
हालांकि स्थानीय लोगों की तत्परता से इन महिलाओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। जैसे ही इस घटना की जानकारी पुलिस को मिली, अफरा-तफरी में पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और डंपर चालक को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इस घिनौनी हरकत के पीछे मुख्य आरोपी कोई और नहीं बल्कि महिलाओं के ससुर और भतीजा हैं, जो फिलहाल मौके से फरार हैं। पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर उनकी खोजबीन शुरू कर दी है।
यह घटना महिला सुरक्षा और शासन-प्रशासन की ढीली कार्यप्रणाली को उजागर करती है। यह सवाल उठता है कि ऐसे गुंडे कैसे पनप रहे हैं, जिनकी इतनी हिम्मत हो गई कि उन्होंने सरेआम दो ज़िंदा महिलाओं को जमीन में पाटने का प्रयास किया। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि शासन और प्रशासन में कई खामियां हैं, जो ऐसे अपराधियों को बढ़ावा देती हैं। ये घटनाएं न केवल महिलाओं के खिलाफ अपराध हैं, बल्कि समाज की सोच और कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती हैं। ये दर्शाती है कि दबंगों को कानून का कोई भय नहीं है और वे बेखौफ होकर अपराध कर रहे हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अभी भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।
ऐसे मामलों में सरकार से ज़ीरो टॉलरेंस की उम्मीद की जाती है। अब देखने वाली बात यह रहेगी कि कार्रवाई के नाम पर 'असल कार्रवाई' की जाएगी या फिर "कागजी कार्रवाई" करके इन छुटभैये गुंडों को छोड़ दिया जाएगा। इस घटना ने एक बार फिर से पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं ।
रीवा के इस घटना ने शासन-प्रशासन की आंखे खोल कर रख दी और इस ओर इशारा किया है कि महिलाओं की सुरक्षा को और भी मजबूत किया जाए। ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाएं। इसके लिए पुलिस-प्रशासन को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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