✒️"अर्थ का अनर्थ ना हो” इसीलिए शब्दों का सही चुनाव करें"
23 सितंबर 2023
अमरावती भारतीय जनसंचार संस्थान के अमरावती कैंपस में गुरुवार को हिंदी पखवाड़े का आयोजन किया गया, जिसमे प्रोफ़ेसर डॉ. मोना चिमाटे ने संस्थान के सभी छात्रों से हिन्दी के वर्चस्व को बनाऐ रखने की अपील की।
प्रोफ़ेसर.डॉ. मोना चिमाटे संत गाडगे बाबा विद्यापीठ में हिन्दी तथा मराठी की विभाग प्रमुख हैं। उन्होंने कई विषयों के रिसर्च कार्यो में बतौर विशेषज्ञ काम किया हैं साथ ही 8 से अधिक किताबों का लेखन और संपादन भी किया हैं। वे विद्यापीठ के मानव विज्ञान शाखा में बतौर 'डीन' पदस्थ है उन्होंने आकाशवाणी के ज़रिये बहुत से विषयो पर अपने विचार लोगों तक पहुँचाया। हिन्दी और मराठी के कवि व लेखकों को आगे लाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
उन्होंने बात कि शुरुआत करते हुए कहा कि 'डिजिटल मीडिया' के बढ़ते लोकप्रियता के कारण उसका चलन भी बढ़ता जा रहा हैं। ऐसे समय में लोगो का रुझान अंग्रेजी भाषा की ओर बढ़ता जा रहा हैं,आज अंग्रेजी बोलने वालों को बड़े सम्मान जनक नज़रों से देखा जाता हैं।वही हिन्दी भाषा को बोलने और पढ़ने वालों की संख्या कम होते जा रही है ऐसे स्थिति में अगर हम इसके प्रति जागरूक नहीं हुए, तो हिन्दी कैसे बचेगी।अपनी भाषा पर गर्व ना करना इसके नीचे स्तर पर जाने के मुख्य कारणों में से एक हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आज देश में ज्यादातर लोग अपने बच्चो को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों मे पढ़ा रहे, अपने रोज के बोलचाल में अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग कर रहे जिसके कारण उनके हिन्दी में भाषायी अशुध्दी देखी जा सकती हैं। कहने का तात्पर्य हैं कि जब-तक हम अपने दैनिक जीवन में, बोलचाल, मोबाईल,तथा डिजिटल प्लेटफॉर्म में हिंदी भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे तब तक जमीनी स्तर पर हिन्दी मजबूत नहीं होगी।
उन्होंने बताया कि विदेशो में उनके खुद के भाषा के फॉण्ट कीबोर्ड होते हैं। भारत में 10 फॉण्ट के कीबोर्ड है किंतु उसमें हिन्दी को शामिल नहीं किया गया क्योंकि हम देवनागरी लिपि में लिखते है जिसको डिकोड' करना कठिन है। इसीलिए हमें कीबोर्ड में पहले अंग्रेजी फॉण्ट इंस्टाल करना पड़ता है फिर उसको हिन्दी में बदलना पड़ता हैं। माइक्रोसॉफ्ट के मंगल फॉण्ट के कारण कीबोर्ड में अब हिन्दी फॉण्ट का उपयोग करना सरल हुआ। वही OCR, HWR, WWWC जैसे तकनीको के कारण हस्त लेखन, श्रुति लेखन,अनुवाद के आविष्कार से डिजिटल क्रांति की लहर आयी।
उन्होंने आगे कहा 21वी सदी पत्रकारिता का क्रांति युग हैं क्योंकि यही वो समय हैं जब भारत अपने विकास और उन्नति के कारण विश्व में नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा। जाहिर हैं की इसीलिए पूरे विश्व की नज़र भारत पर टिकी हैं इससे राजभाषा हिन्दी के सामने भी विस्तार के अवसर दिखाई पड़ रहे।उन्होंने कहा सभी भाषा अपने-अपने स्वरूप में परिपूर्ण हैं किन्तु हिन्दी हमारी राजभाषा हैं इसको अपनाये।
उन्होंने IIMC के छात्रों से कहा कि पत्रकारिता क्षेत्र में चुनौती बढ़ती जा रही हैं ऐसे में उन्हें नैतिकता और सद्भाव का संतुलन करके सच्चाई के लिए खुद से लड़ना होगा। उन्होंने कहा की “देश के चौथे स्तंभ की गरिमा को बनाये रखना पत्रकारों की जिम्मेदारी हैं” अतः सभी भविष्य में अपने कर्तव्य पथ में अपने मूल्यों को बनाये रखे।
कार्यक्रम की समाप्ति में प्रोफ़ेसर राजेश कुशवाहा ने IIMC- DG अनुपमा भटनागर, अमरावती के क्षेत्रीय निदेशक वीरेंद्र कुमार भारती, मुख्य वक्ता के रूप में आयी प्रो. डॉ.मोना चिमाटे,प्रो.विनोद निताले,प्रो. आशीष दुबे, स्टाफ और छात्र- छात्राओ को कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग को लेकर धन्यवाद दिया।
दीप्ति वर्मा
हिन्दी पत्रकारिता
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