थम नही रहा 'पर्चा आउट खेल'
थम नही रहा 'पर्चा आउट खेल'..
परीक्षाओं में नकल भारत की एक बड़ी समस्या है. चाहे वह बिहार में पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती परीक्षा हो (जिसमें 18 लाख आवेदक थे) या राजस्थान में शिक्षक पात्रता परीक्षा हो, पिछले पांच साल में कम से कम 15 राज्यों में प्रश्नपत्र लीक होना एक अभिशाप सरीखा है. वास्तव में, इस तरह की लीक ने नौकरी के लिए इच्छुक 1 करोड़ से अधिक उम्मीदवारों की संभावनाओं को धूमिल किया है. विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने दायरे में नकल विरोधी कानून पारित किए हैं. इनमें उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और ओडिशा शामिल हैं.
हालांकि इस समस्या पर काबू पाने के लिए एक केंद्रीय कानून का लंबे समय इंतजार था. 5 फरवरी को केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस कमी को दूर करते हुए सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक 2024 पेश किया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी और सरकार ने 12 फरवरी को इसकी अधिसूचना जारी कर दी.
इस कानून का मकसद 'प्रश्न पत्र या आंसर की (उत्तर पत्र) लीक होना', 'उम्मीदवार की प्रत्यक्ष या परोक्ष मदद करना' और 'कंप्यूटर नेटवर्क से छेड़छाड़' जैसे गलत तरीकों पर रोक लगाना है. इसमें इस तरह के सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर जमानती और गंभीर श्रेणी में रखा गया है. नए कानून के दायरे में वे सभी परीक्षाएं आएंगी जिन्हें संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनेल सेलेक्शन, केंद्रीय मंत्रालय या विभाग और उनसे जुड़े और अधीनस्थ कार्यालय, राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी और ऐसे कोई भी प्राधिकरण कराते हैं जिन्हें केंद्र ने अधिसूचित किया है. इसके दायरे में सभी सेवा प्रदाता संगठन और कार्मिक आएंगे जिन्हें सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण ने परीक्षाएं संचालित करने के लिए रखा है. इस कानून में जुर्माना भी भारी है, कम से कम तीन वर्ष की जेल और एक करोड़ रुपए तक का दंड का प्रावधान है.
परीक्षाओं में लीक कोई नई घटना नहीं है. बात बस इतनी है कि पिछले कुछ वर्षों में इसके तौर-तरीके काफी उन्नत हो गए हैं तथा पैमाने और दांव काफी व्यापक हो गए हैं. इसके साथ ही अपराधियों को पकड़ना तकरीबन नामुमकिन हो गया है. आरआरबी परीक्षा मामले में सीबीआइ ने सितंबर 2010 में आरोप पत्र दायर किया था. दोषी ठहराए जाने में लगभग डेढ़ दशक का समय लगा है.
पेपर लीक और परीक्षाओं में हेराफेरी ने सरकारी नौकरियों के योग्य ऐसे हजारों दावेदारों के अवसरों को नष्ट किया है जो परीक्षाएं रद्द होने और अंतहीन मुकदमेबाजी के शिकार हुए. जो समय और अवसर उन्होंने खोया, उसकी कहीं से कोई भरपाई नहीं हो सकती, खास तौर पर ऐसे समय में जब सरकारी नौकरियों की संख्या घट रही है तथा छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा के लिए महीनों और वर्षों तक तैयारी करनी पड़ती है.
असल में पेपर लीक ऐसा संवेदनशील मसला बन गया है कि राजस्थान में पिछली सरकार को राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) अधिनियम 2023 में संशोधन करना पड़ा और इसमें शामिल लोगों के लिए अधिकतम सजा बढ़ाकर उम्रकैद करनी पड़ी. इसके बाद भी मामला उबलता रहा और नवंबर 2023 के राज्य के चुनाव में यह बड़ा चुनावी मुद्दा था. कोटा में एक आमसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि पेपर लीक में जो कोई भी शामिल होगा, उसे सजा मिलेगी. वह वादा अब पूरा होता लग रहा है. विभिन्न राज्यों ने नकल रोकने के लिए कानून पारित किए हैं, मगर वे कारगर होते नहीं नजर आ रहे. वे अब शायद अपने यहां नकल के इस खतरे से छुटकारा पाने के लिए व्यापक केंद्रीय कानून से उम्मीद कर सकते हैं.
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